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भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ा तो उनका अंतिम संस्कार किया गया , उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था , उनका हृदय आज तक सुरक्षित है जो भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है , ये बात बहुत कम लोग को पता है महाप्रभु का महा रहस्य सोने की झाड़ू से होती है सफाई......। महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है.... पुरी(उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है... मगर रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को crpf की सेना चारो तरफ से घेर लेती है...उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता... मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है...पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है...पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदार्थ" निकालता है और नई

महाराणा प्रताप

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी) जन्म - 9 मई, 1540 ई. जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई. पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी माता - राणी जीवत कँवर जी राज्य - मेवाड़ शासन काल - 1568–1597ई. शासन अवधि - 29 वर्ष वंश - सुर्यवंश राजवंश - सिसोदिया राजघराना - राजपूताना धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध राजधानी - उदयपुर पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह अन्य जानकारी - महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम 'चेतक' था। राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि राणा प्रताप का जन्म हुआ। महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:- 1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े